लॉकडाउन की वजह से देश के मुस्लिम घर में ही पढ़ रहे हैं ईद की नमाज। देश में कोरोना वायरस की वजह से सभी तरह के धार्मिक स्थल भी बंद कर दिए गए हैं। किसी भी जगह पर ज्यादा लोगों को एकत्रित होने की अनुमति नहीं दी है। साथ ही सबसे गुजारिश की गई थी कि वह सोशल डिसटेंसिंग का पालन करें जिसका असर भी दिखाई दे रहा है। देश के अलग अलग राज्यों में लोग मीठी ईद की नमाज अपने घरों में ही पढ़ रहे हैं। लेकिन इस बीच ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात को जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों ईद से पहले रोजे रखे जाते हैं(WHY EID IS CELEBRATED) ।
मुस्लिम धर्म के मुताबिख जब पैगंबर साहब मक्का से मदीना आए तब उन्होंने इसे हर इस्लाम मानने वाले के लिए इसे फर्ज किया। लेकिन ऐसा नहीं है कि पैंगबर साहब से पहले रोजे नहीं रखे जाते थे, खुद उन्होंने भी रोजे रखे थे,पर तब रोजे रखना अनिवार्य नहीं होता था (WHY EID IS CELEBRATED। पर बाद में पैगंबर साहब ने इन्हे अनिवार्य किया और इसके कुछ नियम भी बनाए, जिसमें जकात सबसे अहम था, यानी रमजान के महीने में दान देने की प्रथा को शुरू किया।
पैगंबर साहब का कहना था कि हम साल के 11 महीने दुनियादारी में लगे रहते हैं और खुद के लिए बिलकुल समय नहीं निकालते।इसलिए यह एक महीना खुद के लिए और दुनिया की भलाई के लिए माना जाता है। इस माह में अपनी कमाई 2.50 प्रतिशत हिस्सा दान में देना का भी रिवाज है।
रोजे में आपने सेहरी और इफ्तार सुना होगा। रोजो की शुरूआत सुबह सूरज उगने से पहले होती है,जबकि रोजा खत्म सूरज डूबने पर होता है (WHY EID IS CELEBRATED)। इस बीच लोग ना कुछ खा सकते हैं और ना ही कुछ पी सकते हैं। इसलिए सूरज उगने से पहले सेहरी की जाती यानी थोड़ी बहुत कुछ खा लिया जाता है, वंही रोजा खत्म होने पर इफ्तार कहा जाता है जिसे खजूर खा कर लोग रोजा संपन्न होना माना जाता है।
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