भारत चीन सीमा विवाद के बाद देश में चीन के खिलाफ एक अलग ही मुहिम छिड़ गई है। भारतीय नागरिकों ने चीन के सामान का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। देश में अलग अलग जगह पर लोगों ने अपने चीनी टीवी निकाल कर तोड़ना शुरू कर दिया है। पूरा देश एक सूर में Boycott china का नारा दे रहा है। लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड इस मामले में थोड़ा उलट दिखाई दे रहा है। BCCI का चीनी कंपनी वीवो के करार हुआ था। जिस करार की बदौलत बोर्ड को हर साल 440 करोड़ रूपए मिलते हैं। हालांकि इस पर BCCI ने सफाई भी दी है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि वीवो कंपनी भारत में अपने प्रोडक्ट बेच कर जो पैसा कमाती है। उसका बड़ा हिस्सा ब्रांड प्रमोशन के नाम पर BCCI को दिया जाता है। बोर्ड उस कमाई से 42 फीसदी टैक्स केंद्र सरकार को देती है।
बीसीसीआई की तरफ से कहा गया की इस करार से पैसा देश में आ रहा है जा नहीं रहा। आगे कहा गया कि हमें यह समझना होगा कि चीनी कंपनी के फायदे का ध्यान रखने और चीनी कंपनी के जरिए देश का हित साधने में बड़ा फर्क है।
बोर्ड की तरफ से आगे यह भी कहा गया कि जब भारतीय बाजार में चीनी प्रोड्क्ट बेचने की इजाजत है तो कोशिश यही है कि भारत से कमाया हुआ पैसा भारत में ही लौट कर आए।
बोर्ड ने यह भी कहा कि हम चीन पर से निर्भरता खत्म करने के पक्ष में हैं। लेकिन जब तक भारत में इन कंपनियों को व्यापार करने की इजाजत दी जा रही है। तब तक चीनी कंपनी अगर आईपीएल को स्पॉन्सर करती हैं। तो इसमें बुराई क्या है।
बीसीसीआई ने कहा कि भारत में क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण हो या अन्य कोई काम इनमें से किसी का भी ठेका चीन को नहीं दिया गया। यह सारे कॉन्ट्रेक्ट भारतीय कंपनियों को ही दिए जा रहे हैं।
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