कांग्रेस पार्टी के नेता प्रियंका गांधी द्वारा यूपी सरकार को दी गई 1000 बसों पर सियासत खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है(BJP AND CONGRESS DOING POLITICS ON MIGRANT WORKERS)। अब यह 1000 बसें जब दिल्ली से नोएडा और गाजियाबाद के लिए निकली तो इन्हे गाजियबाद और नेशनल हाइवे पर ही पुलिस प्रशासन दवारा रोक दिया गया। इस पर प्रिंयका गांधी के मुख्य सचिव संदीप सिंह ने यूपी के अतिरिक्त सचिव को पत्र लिखा और कहा हम 19 मई से ही नोएड एंव गाजियाबाद की सीमा पर हैं और आपकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। हम 20 मई की शाम चार बजे तक यंहा बने रहेंगे।
कोरोना महामारी में प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए कांग्रेस की ओर से 1000 बसों को चलाने का प्रस्ताव रखा गया था,जिसका सारा खर्च कांग्रेस ही उठाने वाली है। इस प्रस्ताव को योगी सरकार द्वारा हां तो कह दिया गया, लेकिन अब तक इन बसों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। योगी सरकार कभी इन बसों की फिटनेस सर्टिफिकेट का हवाला देकर इन्हे रोक देती है, तो कभी इन बसों को लखनऊ मंगवाने के आदेश देती है(BJP AND CONGRESS DOING POLITICS ON MIGRANT WORKERS)।
हालांकि इसमे पूरी तरह गलती योगी सरकार पर भी नहीं थोपी जा सकती। ऐसा लगता है कि यह दोनो ही पक्ष इस पर जानबूझ कर राजनीति कर रहे हैं, एक पक्ष यह सोच कर बस भेज रहा है कि कल को चुनाव में यह दलील दी जा सकेगी की कांग्रेस सत्ता में नहीं थी तब भी लोगों की मदद कर रही थी। वंही दूसरी तरफ योगी सरकार इन्हे इसलिए भी रोक रहे होंगे कि इससे उनकी सरकार की क्या जिम्मेदारी है, इस पर सवाल खड़े हो जाएंगे(BJP AND CONGRESS DOING POLITICS ON MIGRANT WORKERS)।
अब मंगलवार यानी 19 मई 2020 से यह बसे नोएडा और गाजियाबाद के बॉर्डर पर खडी़ हैं लेकिन इन्हे चलाए जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। सरकार का कहना है कि इन बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है।
इसके अलावा यूपी सरकार की तरफ से इस पर कहा गया है कि कुछ बसों के नंबरों की पुष्टि नहीं हुई है। जबकि कुछ नंबर चोरी के हैं यह भी आशंका है। इसलिए इन बसों को चलाने की अनुमति नहीं दी गई है। साथ ही यूपी सरकार की तरफ से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर भी दर्ज की गई है, क्योंकि उन्होने चोरी हुई गाड़ियों के नंबर दिए हैं।
इन सब बातों में कितनी सच्चाई है यह तो अभी साबित होना है,लेकिन इस राजनीति के बीच अगर किसी का नुकसान सबसे अधिक हो रहा है तो वह हैं प्रवासी मजदूर। इस मुद्दे पर दोनो पक्षों का आपसी सहमति के साथ सहयोग किया जाना जरूरी है, ताकि बेचारे प्रवासी मजदूरों को सच में इन बसों का लाभ मिल सके।
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